Thursday, September 20, 2012

आलाकमान वाया लालाकमान :-




आलाकमान वाया लालाकमान :-

कल सुबह चचा योगी कूदते कूदते हमारे पास पहुंचे ! हमने चचा का उत्साह देखते हुए कहा :- क्यों जी !!!

कुबेर का खज़ाना हाथ लग गया है क्या, जो स्प्रिंग लगे गुड्डे कि तरह फुदक रहे हो ! अब ज्यादा कूदना फांदना बंद करो, वरना कहीं पाँव में मोच आ गयी तो दस दिन तक गाँव कि कहारिनो के गोद में ही रहोगे !!!

चचा योगी हमारा ताना सुन अनसुना करते हुए बोले :- भतीजे यह देखो निमंत्रण पत्र ! राजधानी कि बड़ी हवेली से आया है,अपनी "आलाकमान" और "लालाकमान" रिटेल सेक्टर में  

एफ डी आई (FDI ) का उद्घाटन कर रही है !!! तुम्हारे चचा को भी बुलाया है !!!

चचा कि बात सुन कर हमने कहा :- कौन सा FDI ? क्या बात कर रहे हो ? "पीने को नहीं है पानी और नहाने चली है बहुरानी " !!! हमारे कुछ समझ नहीं आ रहा है जरा खुल कर बताओ ?

चचा मुस्कुरा कर बोले :- देखो भतीजे ! अपनी "आलाकमान वाया लालाकमान" कि तरफ से फरमान आया है कि हमारे देश में FDI अर्थात Foreign Direct Investment होगा इसका मतलब है कि अब हमारे देश में विदेशी कम्पनियों का आगमन होगा जिससे हमारी आर्थिक स्थति मजबूत होगी !!! 

किसानो को लाभ पहुंचेगा !!! 

यह विदेशी कम्पनियाँ दाल - दलिये, धनिया , मिर्च, आलू  प्याज, टमाटर बेचेगी और यह सब किसी मण्डी कि चिलचिलाती गर्मी में नहीं बल्कि एक भव्य भवन के ठन्डे ठन्डे वातानुकूलित कक्ष में !

ज़रा सोचो शहर के बीचो बीच एक भव्य भवन होगा जिसमे रंगीन लट्टू जलेंगे और अपने प्रत्येक राज्यों के "तोता मैना" उस भवन में हाथों में हाथ डाल कर शोपिंग का लुत्फ़ लेंगे !!!

एकांत होते ही चौंच से चौंच लड़ायेंगे ! एक दूजे के नैनों कि भाषा पढेंगे ! समझेंगे ! प्रेमशास्त्र  में निपुण होंगे ! 

हम भी कभी कभी वहाँ जायेंगे जो काम बचपने और जवानी में नहीं कर पाए, अब करेंगे !!!

हमने लाख चाहा कि तुम्हारी चाची के संग कभी किसी ऐसे भव्य भवन में जाए हाथ में हाथ डाले लेकिन कम्बख्त "चौथमल किराना" वाला हमको छोड़ता ही नहीं है वहीँ से तेल , नून , लकड़ी खरीदते खरीदते उमरियाँ बीत गयी !!! 

एकाध बार मौका भी मिला शहर में तो तुम्हारी चाची ने यह कह कर हमको झिड़क दिया कि यह चौंचलेबाज़ी हमको पसंद नहीं है ! कुछ लोग इन रंगीन लट्टुओं का विरोध भी कर रहे है !

अब तुम बताओं भतीजे क्या रंगीन लट्टुओं में खरीदारी करना कौनो चौंचलेबाज़ी है ???

हम क्रोधित मुद्रा में चिल्लाये :-  हाँ !!!  यह चौंचलेबाज़ी नहीं तो और क्या है ? अरे आपके आला अफसरों को और कुछ सूझता है या नहीं ?

बेचारी देश कि जनता डीजल , गैस , कोयला , अगला प्रधानमंत्री कौन ? अगली असुर सेना कौन ?

जैसे सवालों में उलझी हुई है ऐसे में यह नया "आलाकमान वाया लालाकमान" का फरमान कहाँ तक तर्क संगत लगता है ? शहर के तोता मैना के लिए कृत्रिम फव्वारे लगवाइए भला यह कौन बात हुई कि FDI को निमंत्रण दे दिया !!!

याद है ना "ईस्ट इण्डिया कंपनी" वह भी व्यापार करने आई थी उसको भेजने में दो सौ बरस लग गए थे !!! 

हमारे देश में भी कई रिटेल सेक्टर है जब उनसे कुछ नहीं हुआ तो क्या यह FDI आपकी "चर्रम चू खटिया" जैसी चरमरायी हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकेगी ?

इस देश का मुखिया प्रकांड अर्थशास्त्री होते हुए भी अर्थव्यवस्था नहीं संभाल सका तो क्या बिदेशिया बाबू संभाल लेंगे ???

इसलिए प्यारे चचा इन सरकारी निमंत्रणों पर फुदकना छोड़ दो ! आज आपके पास आया है , तो कल मेरे पास भी आ जायेगा !!!

कुछ कम धाक नहीं रखते है हम भी , आपके ही भतीजे है !!!