सुनो हिमालय कैद हुआ है दुश्मन की जंजीरों में आज बतादो कितना पानी है भारत के वीरो में खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर आज तुम्हे ललकार रही सोये सिंह जगो भारत की माता तुम्हे पुकार रही..रण के बिगुल बज रहे उठो मोह निंद्रा त्यागो पहला शीष चढाने वाले माँ के वीर पुत्र जागो! बलिदानों के वज्रदंड पर देशभक्त की ध्वजा जगे....रण के कंकण पहने है वे राष्ट्रहित की ध्वजा जगे ,अग्निपथ के पंथी जागो शीष हथेली पर रखकर और जागो रक्त के भक्त लाडले और जागो सिर के सौदागर.....खप्पर वाली काली जागे.....जागे दुर्गा बर्बंडा और रक्त बीज का रक्त चाटने वाली जागे चामुंडा नर मुण्डो की माला वाला जगे कपाली कैलाशी और रणचंडी नाचे घर घर मौत कहे प्यासी प्यासी...रावण का वध स्वयं करूंगा कहने वाला राम जगे........
और कौरव शेष न बचे एक कहने वाला श्याम जगे और परशुराम का परशा और रघुनन्दन का बाण जगे और यजुनंदन का चक्र जगे और अर्जुन का धनुष महान जगे, चोटी वाला चाणक्य जगे.......पौरुष परश महान जगे सेल्युकस को कसने वाला चन्द्रगुप्त बलवान जगे, हठी हमीर जगे जिसने झुकना कभी न जाना, जगे पद्मिनी का जौहर, जगे केसरिया बाना... देशभक्त का जीवित झंडा आज़ादी का दीवाना और रण प्रताप का सिंह जगे और हल्दी घटी का राणा,दक्षिण वाला जगे शिवाजी......खून शाह जी का ताजा मरने की हठ ठाना करते विकट मराठों के राजा छत्रसाल बुंदेला जागे और पंजाबी कृपाण जगे और दो दिन जिया शेर की माफिक वो टीपू सुलतान जगे कलवोहे का जगे मोर्चा और जगे झाँसी की रानी अहमदशाह जगे लखनऊ का जगे कुंवर सिंह बलिदानी कलवोहे का जगे मोर्चा और पानीपत का मैदान जगे और भगत सिंह फांसी जागे और राजगुरु के प्राण जगे, जिसकी छोटी सी लकुटी से संगीने भी हार गयी.......बापू ! हिटलर को जीता वो फौजे भी सात समुन्दर पार गयी मानवता का प्राण जगे और भारत का अभिमान जगे उस लकुटी और लंगोटी वाले बापू का बलिदान जगे..... आज़ादी की दुल्हन को जो सबसे पहले चूम गया स्वयं कफ़न बाँध कर सातों धाम घूम गया उस सुभाष की आन जगे और उस सुभाष की शान जगे ये भारत देश महान जगे ये भारत की संतान जगे.............झोली ले कर मांग रहा हूँ कोई शीष दान दे दो !भारत का भैरव भूखा है ! कोई प्राण दान दे दो .........खड़ी मृत्यु की दुल्हन कुंवारी कोई ब्याह रचा लो कोई मर्द अपने नाम की चूड़ी पहना दो कौन वीर ह्रदय रक्त से इसकी मांग भरेगा कौन कफ़न का पलंग बनाकर उस पर शयन करेगा !........"औ ......कश्मीर हड़पने वालो कान खोल सुनते जाना भारत के केसर की कीमत तो केवल सिर है और कोहिनूर की कीमत जूते पांच अजर अमर है !!........" रण के खेतों में छाएगा जब अमर मृत्यु का सन्नाटा लाशो की जब रोटी होगी और बारूदों का आटा सन-सन करते वीर चलेंगे ज्यों बामी से फ़न वाला जो हमसे टकराएगा वो चूर चूर हो जायेगा इस मिट्टी को छूने वाला मिट्टी में मिल जायेगा......मैं घर घर इंकलाब की आग जलाने आया हूँ ! हे भारत के राम जगो
any got the video where Ashutosh Rana recited the above poem...if u have pls sshare it on amitdg@gmail.com
ReplyDeleteI love this poem. please share ashutosh rana's video, if available
ReplyDeleteYa I have
Deleteyes i also want asutosh rana videos
ReplyDeleteI Miss This VDO... Plz Mujhe Bhi Chahiye !!!
ReplyDeleteplz give vdo
ReplyDeletesahi kaha ..ashutosh rana ne jo dil me josh bhara tha wo aaj bhi yaad hai is baat ko shayad 10-12 saal ho gaye hain aur us time internet ka itna chalan nahi tha...
ReplyDeleteHi... Pls can anyone tell me who wrote this poem??
ReplyDeletepagal itna bhi nahi pata ashutosh rana ne
Deletepagal itna bhi nahi pata ashutosh rana ne
DeleteShyam sundar Rawat was Writer of this poem
DeleteAshutosh Rana ne sirf boli hai likhi nhin hai
DeleteThis Poem Was Written By Late Shri Shyam Sundar Ji Rawat From Gadarwara Madhya Pradesh.
Deleteany got the video where Ashutosh Rana sing the above poem...if u have pls sshare it on ashish198183@gmail.com
ReplyDeleteI have the video...msg me ur no at himanshusaxena lucknow@gmail.com .i will whats app to all of you..
ReplyDeleteबर्बंडा ka matlab kya hai
ReplyDeleteGreatest poem
ReplyDeleteWonderful i like this poem
ReplyDeleteBhaut khoob......
ReplyDeleteMaine ek website oor dekhi rhi jaha pr bhi acha material h
https://inquisite.liveup.xyz