Sunday, July 4, 2010

पान खाए सैयां हमारो !!!

पान खाए सैयां हमारो !!!

पान खाए सैयां हमारो !!! सावली सुरतिया होठ लाल लाल !!! हाय हाय मलमल का कुर्ता !!! मलमल के कुर्ते पर छींट लाल लाल !!! पान खाए सैयां हमारो..............

चली आना तू पान दूकान पे !!! साढ़े हुम...
साढ़े हुम.... साढ़े तीन बजे !!! औ रस्ता देखूंगा मैं पान कि दूकान पे !!! साढ़े तीन बजे !!!

हालाँकि , पान हम शौकिया कभी कभार खा लेते है !!! वो तब जब कि हमारे सामने वाला हमको खिला रहा हो !!! वरना अपने पैसे से तो हम जहर भी नहीं खरीद सकते !!! पर पान का सामाजिक , आर्थिक , और राजनैतिक महत्त्व उस दिन पता चला , जब रज्जू पान वाले के इनकम टैक्स का छापा पड़ा !!! शहर के अखबार में उस दिन यह बैनर न्यूज़ थी !!!
खबर पढ़ते ही आधा शहर सुन्न हो गया !!!
छापे का मतलब यह सिद्ध हो जाना कि रज्जू पैसे वाला है !!!
हमारे शहर में कई व्यापारी चाहते है कि कभी उनके यहाँ भी छापा पड़े !!! कम से कम जात बिरादरी वाले यह तो जानेंगे कि उनके पास भी माल है !!!
छापे के बाद जैसे ही हम रज्जू कि दूकान पर पहुंचे उसे हमेशा कि तरह चहकता हुआ पाया ! दरअसल , रज्जू और हम एक साथ स्कूल में पढ़े थे !!! दसवी करने के बाद उसने पान कि दूकान संभाल ली और हमने कलम !!!
शुरू शुरू में हम रज्जू को हेय दृष्टि से देखते थे , लेकिन एक दिन उसने एक दोहा पढ़कर हमारी सारी हेकड़ी उतार दी !!!
उस दिन हमने पान खा कर रज्जू से कहा :- रज्जू यार यह भी कोई काम है ???
उत्तर में रज्जू ने मुस्कुरा कर देखा और कहा :-
गुलामी कि जंजीरों से स्वतंत्रता कि शान अच्छी है ,
हज़ार रूपए कि नौकरी से तो पान कि दूकान अच्छी है !!!
कसम बनारसी पान कि !!! यह सुनते ही हमारे ऊपर मानो सौ घड़े पानी पड़ गया और हमने पान के बारे में सोचना शुरू कर दिया !!!
हमको लगा कि किसी भी शहर कि धड़कन उसके चौराहे है !!! और चौराहे कि शान पान कि दूकान है !!! पान कि दूकान किसी भी चौराहे पर ऐसी सजी होती है जैसे किसी सुंदरी के नाक में मोती !!! पान कि दूकान पर शहर के अधिकतर लोग आते है !!! गपियाते है !!! क्या आप जानते है इन दुकानों का राजनीती में बड़ा ही महत्व है !!!
नेताओ कि कारगुजारियों पर भी यहाँ खूब चर्चा होती है !!! पान कि दूकान का महत्व इसलिए भी है कि हमारे यहाँ कोई भी पवित्र काम हो , पान का हरा पत्ता जरूर चाहिए !!! शादी तो बिना पान के हो ही नहीं सकती !!! दूल्हा घोड़ी पर तब बैठता है जब उसे पान का बीड़ा खिला दिया जाता है !!! और असली रसिक व्यक्ति वह माना जाता है गर्मियों कि रात में मलमल का कुर्ता पहना हुआ हो और उसपर पान के छीटे पड़े हो !!! पान खाए सैयां हमारो , मलमल के कुर्ते पर छीट लाल लाल !!!
रही पान के सामाजिक महत्व कि बात तो जो आदमी प्रतिदिन शाम को घंटे - आध घंटे पान कि दूकान पर खड़ा होता है !!! तो दोस्ती भी हो ही जाती है !!! इसलिए जनाब पान कि दूकान को कम मत आंकिये !!! चलता हूँ आज रज्जू स्पेशल पान खिलाने वाला है !!! फिर मिलेंगे !!!
नमस्कार !!!

2 comments:

  1. अच्छी रचना.यह भी सच है की कई पान वाले नौकरीपेशा लोगों से कई गुना अधिक कमाते हैं किंतु अब पान नई पैकिंग में आ गया है...पान को गुटका खा गया है.

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  2. thank you Shri vijay prakaash ji .........

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