Friday, July 23, 2010

विशेषणवादी विनय !!!

विशेषणवादी विनय !!!

सर्वप्रथम विशेषण की परिभाषा :- जिस शब्द से किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता अथवा गुण का बोध हो उसको विशेषण कहते है !!!

जनाब ......आप लोग तो जानते है ही की हम खुद को "कलम घसीट" विनय पाण्डेय नाम से जानते है !
और आप को भी यही सलाह देते है की हमको आप कलम घसीट नाम से ही जाने पर कभी सोचा है आपने की आखिर यह कलम घसीट है क्या ?

नहीं सोचा ! तो कोई बात नहीं हम बैठे है न आपको समझा देंगे आप बस इत्मीनान से पढ़ते रहा कीजिये मुझ कलम घसीट को !!!

पहली बात तो हम चाइल्डहुड से ही काफी विशेषणवादी रहे है !

बगैर विशेषण के तो हमें रोटी तक हज़म नहीं होती ! अगर दिन भर में १० -२० विशेषण न लगा दे लोगो के नाम के आगे तो हमको नींद तक नहीं आती ऐसा इसलिए की हमारी दृढ मान्यता है की जिस इंसान के नाम के आगे विशेषण न लगा हो उसका समाज में कोई महत्व नहीं होता !

उदाहरण के लिए हमारे समाज में जिनके पास धन है , उन्हें विशेषण लगाने की खुजली चलने लगती है और सबसे सहज विशेषण है समाजसेवी !!!

एक बार हमने एक सांस्कृतिक संध्या आयोजित की अब आप तो जानते ही है अपने समाज में कोई भी काम बगैर खर्च के सफल नहीं माना जाता ! जिस काम में एक पैसा भी खर्च न हो , उसे हीन काम समझा जाता है !

उस संध्या के लिए हमे एक ऐसे धनिक की तलाश थी , जो खर्चे के लिए पैसे दे सके ! हमने मित्रों से चर्चा की हमारा एक बेवडा मित्र हमे एक दारु के ठेकेदार के पास ले गया !

हमने कहा - क्या यह ठीक होगा की एक नेक काम के लिए इन महाशय से धन लिया जाये ?

मित्र बोला - धन तो आखिर धन है !

बहरहाल , समस्या तो यह थी की धन प्राप्ति के पश्चात संबोधन हेतु इन महाशय के नाम के आगे विशेषण क्या लगाये अब दारु विक्रेता श्रीमान फेफड़ा चंद तो लिख नहीं सकते थे !

तभी हमारे मस्तिष्क में एक विचार आया हालाँकि इस बात की सम्भावना बहुत ही कम होती है की हमारे मस्तिष्क में कोई विचार आये किन्तु उस दिन सौभाग्य से आ गया !

और हमने भी तुरंत बिना देर किये कह दिया जुझारू प्रख्यात विख्यात संघर्षशील कर्मठ व्यक्तित्व फेफड़ा चंद और उसी दिन से दारु विक्रेता फेफड़ा चंद हमारे द्वारा दिए गए विशेषण से जगप्रसिद्द हो गए !

अब इसका यह मतलब कतई न निकाले की हम इसके एवज में उनके यहाँ फ़ोकट में दारु पीते है !

न ....भैया .....न !!!

ऐसा हो ही नहीं सकता क्योकि दारु पीने से लीवर खराब होता है !!!

पर यह तो फ़िल्मी डायलोग है !!!

इसलिए कभी कभार बैठ जाते है पर उसमे भी हम अपनी शर्तो पर ही बैठते है !

पानी का इस्तेमाल निषेध मानते है क्योकि एक जमाने में हम NIIT के विद्यार्थी थे !!! इसलिए नीट में बिलीव करते है !!! बहरहाल ,

विशेषण बड़े काम की चीज़ है !

हमारे एक युवा लेखक मित्र की रचनाओं को कोई गंभीरता से नहीं लेता था !

वे तुरंत केश सज्जाघर गए और अपने काले बालों को सफ़ेद करवा आये !

हमने कहा - यार अभी तो तुम चालीस के ही हो अभी से यह सफेदी !

वे बोले - रचनाओं से नहीं तो कम से कम सफेदी से ही लोग वरिष्ठ लेखक मानना तो शुरू करेंगे !

उस दिन हमने एक विशेषण उनको भी चिपका दिया महाकवि और आज तक वो इसी महाकवि विशेषण के साथ लिख रहे है और बदस्तूर जारी भी है !!!

अभी पिछले दिनों एक भ्रष्ट अफसर के घर छापा पड़ा !!! नाम था सेनानी मूलचंद !!!
जनाब हद तो तब हो गयी जब उनके घर के दीवार पर बच्चो ने उनके नाम के आगे एक विशेषण लगा दिया !

"स्वतंत्रता" सेनानी मूलचंद !

बाद में पता चला की न वो सेनानी था न वो बलिदानी बल्कि आजादी के समय फौजदारी मामले में दो दिन जेल में बंद था !

बहरहाल , जरा कलाकारों का अभिनन्दन पत्र बांच ले , तो विशेषणों की भरमार से आपको गश आ सकता है !

एक नुक्कड़ कवि को सरस्वती पुत्र , ज्ञानमर्मज्ञ , साहित्य का पुरोधा , कवि कुल शिरोमणि , शब्द शिल्पी , ज्ञानदूत , प्रखर व्यक्तित्व न जाने क्या क्या लिख दिया जाता है !

बेचारा सच्चा लेखक तो यह विशेषण सुनकर चाहने लगता है की जमीन फट जाये और वो माँ जानकी की तरह उसमे समा जाये !!!

पिछले दिनों एक संयोजक महोदय मंच पर बैठी एक भद्र महिला के नाम के आगे विशेषण लगाने में इतने मस्त हो गए की उन्हें ज्ञानेश्वरी के साथ साथ हृदयेश्वरी और चुम्मेश्वरी तक कह गए !!!

फिर क्या था ?

उस भद्र महिला ने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया और उस संयोजक महोदय के नाम के आगे विशेषण ही नहीं बल्कि वास्तविक विशेषण लगा दिया " जूतम पैजार " !!!

सन्देश :- हे गुणिजनों , ज्ञानधाराओं, अतुल्य , अग्रिणी , अद्वितीय ,अद्भुत , श्रेष्ठ , आदरणीय लेखको आप लोग अपने ज्ञानेश्वरी , चुम्मेश्वरी ब्लॉग लिखते रहिये !!!

ताकि मुझ जैसे दरिद्र ब्राह्मण सतुवा पान पर जीवित कलम घसीट के विशेषण देने की भूख बरकरार रहे ! और कृपया कर मेरे द्वारा दिए गए विशेषणों को व्यंग्य न समझे वह वास्तविक होते है !!!

आफ्टर आल इट्स माय चाइल्डहुड प्रॉब्लम !!!

नमस्कार !!!

आपका अपना

सतुवा पान पर जीवित कलम घसीट विनय पाण्डेय !!!

अब आप लोग विशेषण लगा सकते है मेरे नाम के आगे !!!

3 comments:

  1. वाह विनय जी, आपकी लेखन शैली में निखार आ रहा है.आपका अविष्कृत शब्द, चुम्मेश्वरी अच्छा लगा

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  2. Thank you ....Shri Vijay ji .....
    aapka comment bhi ek dam chummeshwari hai ! dhanywaad fir se !!!!!!!!!!!!!!

    vinay pandey !

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  3. hahahha.............

    bahut rochak likha hai KALAM GHASEET JI....

    aise hi kalam ghaseet te rahiye.....

    aaj to aapko follow karna padega....

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