Wednesday, April 21, 2010

मंगल + पाण्डेय

मंगल + पाण्डेय

^^ घरवाली आँगन में गावे
मंगल भवन अमंगल हारी
देश के लूटा बारी-बारी
जियो बहादुर खद्दरधारी .........^^
जनाब यह मेरी सोच नहीं है , आप तो ख्वामखा नाराज़ हो रहे है ! यह तो मैंने कभी हास्य कवि सम्मेलन में सुना भर था और चिपका यहाँ भर दिया !

हुआ यूँ कि आज मैंने निर्णय लिया कि मैं मंगल कि बजाऊं.........
तो जाहिर सी बात है कि मंगल का जिक्र भी होगा !

क्या कहा ? मैं मंगल पाण्डेय कि बात करूँ !

अजी रहने दीजिये किसी फ्लॉप फिल्म कि क्या बजाए जिसकी जनता जनार्दन ने पहले ही बजा दी !

क्या ? क्या ? आप फिल्म कि नहीं उस वीर क्रांतिकारी मंगल पाण्डेय कि बात कर रहे है जिन्होंने 1857 कि क्रांति का सूत्रपात किया था !

अजी साहब उनके बारे में कुछ कहना मेरे कलम के बस कि बात नहीं है वो तो महान थे और मैं ठहरा छोटा सा जीव...

मैं बेचारे मंगल ग्रह कि बात कर रहा हूँ !
क्या पूछा आपने ? कि मंगल पर जीवन है कि नहीं ?

कमाल करते है आप भी मेरा नाम गूगल पाण्डेय नहीं विनय पाण्डेय है ! अगर मंगल पर जीवन तलाशना है तो जाइए गूगल में सर्च मारिये ...सारी जानकारी फ़ोकट में मिलेगी !

हाँ जी अब सही समझा आपने वही मंगल जिसका शादी ब्याह में उतना ही महत्व होता है जितना पंडित , मौलवी और पादरी का !

मंगल का खेल भी बहुत ऊँचा होता है ! किसी कि कुंडली में नीच का मंगल तो किसी कि कुंडली में ऊँच का मंगल !

मांगलिक कन्या के लिए मांगलिक वर ही देखा जाता है ! अगर मंगल ग्रह वधू का भारी तो वर के कैरियर कि समझो लग गयी....................... वाट !

क्षमा करे ! हमारे इस तरह के वक्तव्यों से आप यह ना समझे कि हम आजकल ब्राह्मणगिरी अथवा ज्योतिष शास्त्र का अध्यन कर रहे है !

ना जी ना ..... हमारी कुंडली में तो पहले ही शनि वक्री चल रहा है राहू घर कि तलाश में बैठा है और केतु ना जाने कब से हिचकोले ले रहा है ! हम तो बस यूँ ही मंगल के साथ दंगल कर रहे थे !

अपने देश को तो हम पहले भी कह चुके है कि हम घोंचुओ का देश मानते है ! अब घोंचू का अर्थ आपको भी बता चुके है !
लीजिये अभी पिछले वर्ष कि बात याद आ गयी हमारे मोहल्ले में एक सज्जन कि बेटी कि शादी तय हुई , कुंडली मिलान भी हुआ पता चला कि लड़की का मंगल भारी है और यह भारीपन लड़के के कैरिएर पर भारी रहेगा और इस वजह से शादी तोड़ दी गयी थी !

बहरहाल , कर्म से तो नहीं किन्तु जन्म से तो हम भी ब्राह्मण है और इतना दावे के साथ उस वक़्त हम कह चुके थे कि यह मंगल भारी तो पड़ेगा ही किन्तु वर-वधू के जीवन पर नहीं वरन समाज के दकियानूसी रिवाजो पर, कुंडली मिलाने वाले पर , भविष्य बताने वाले पर और उनके मात पिता पर जिन्होंने महज इस वजह से दो प्रेमियों को अलग कर दिया क्योकि मंगल भारी था !

और फिर हुआ भी यह ही ( वर -वधू ) दोनों ने अदालती शादी कर ली वह भी घर से भाग कर और जज साहेब को वजह बताया कि मंगल भारी था !

अब आप खुद बताइए मंगल किसपर भारी हुआ ?

यकीन नहीं मानेंगे पर बात एकदम पुख्ता है मंगल उनपर ही भारी हुआ जिनपर हमने अंदाज़ा लगाया था !

आज एक साल बाद दोनों मियाँ बीवी घर लौटे वो भी खुश साथ में एक आनेवाली खुशखबरी के .....

इसका मतलब फिर से फ़ोकट का खाना मिलेगा इस दरिद्र को !

तो भैया ...यह जो दो पैर का जंतु है ना ...इंसान यह बड़ी शातिर चीज़ है अपने कर्मो का फल ग्रहों पर डाल देता है !

अजी मंगलमुखी सदा सुखी ! मंगल तो कभी किसी का अमंगल करता ही नहीं बस यह इंसान ही है जो मंगल से दंगल करता है और नाम बेचारे मंगल का लगा देता है !

अगर मंगल को कोई आपत्ति होती तो भला नासा के लोग जो उसके पीछे हाथ धो कर पड़े है वो उनपर भारी होकर उनको सबक नहीं सिखा देता !

चलिए आप लोगों से बात करने का मूड था और कोई मुद्दा भी नहीं था तो एक मुद्दा मिला और यह ही हमारे लिए मंगल की घड़ी बन गयी !

पर अब यह नहीं पता की यह लेख हमारे लिए मंगल होगा या अमंगल और इसी चिंता में हम यहाँ दुबलाए जा रहे है !इसलिए आपलोगों से विनती है कि अपनी राय फटाफट लिख मारिये जैसी भी हो ....
देख क्या रहे हो ? सोच क्या रहे हो ?
जल्दी बताओ जी ......

1 comment:

  1. मंगल के बारे में अंधविश्वास को बताती आपकी ये पोस्ट बहुत बढ़िया लगी.कई लोगों को ये जानकारी नहीं है कि लगभग तैंतीस प्रतिशत व्यक्ति मंगली होते हैं और इस दोष का कई प्रकार से निवारण भी है किंतु भैय्या ज्योतिषियों को भी पेट लगा है. और जब तक वो भय नहीं दिखायेंगे आप पैसे नहीं निकालेंगे.
    सो...सोच-समझ कर...

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