Wednesday, February 3, 2010

हिन्दी, हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तानी !!!

२१ वि सदी में हिंदुस्तान क्या वास्तव में हिंदुस्तान है ! यह एक विचारणीय प्रश्न है ? यदि जवाब हाँ है तो यह मेरे मस्तिष्क का खलल मात्र है! यदि नहीं तो यकीन मानिये की हमारे हिंदुस्तान पर पाश्चात्य सभ्यता की मोहर लग चुकी है मेरी बाते थोड़ी बहुत विरोधाभास हो सकती है , थोड़ी क्या है ही विरोधाभास ! क्योकि मै किसी और भाषा की बात कर रहा हूँ और यह हमारे देश की विडंबना है की यहाँ की मूल भाषा का अस्तित्व खंडित होता जा रहा है और सबको कुछ अलग ही चिंताए सता रही है ! आज अंग्रेजी का वर्चस्व इस तरह बढ़ा हुआ है कि हिन्दी में बात करना या हिन्दी का अनुसरण करना हेय माना जाता है ! वास्तविकता यह है कि आज का आधा युवा वर्ग सिर्फ इस अंग्रेजी भाषा को न जानने के कारण ही अच्छे पद और अच्छे रोज़गार के लिए दर दर ठोकर खा रहा है ! क्योकि आज प्रतियेक निजी महेक्में में साक्षात्कार कि मुख्या भाषा अंगेजी राखी गयी है ! हिन्दी में बोलकर हम अंतररास्ट्रीय प्रतिभा का उपहास करेंगे और महज ये ही कारण है कि हिन्दी बोलनेवाला अपने ही देश में बेरोजगार है और अंग्रेजी बोलने वाला ऊंचे पद पर विद्यमान है ! मै यहाँ किसी भाषा को छोटा या बड़ा नहीं सिद्ध करना चाहता बल्कि सिर्फ याद दिलाना चाहता हूँ कि हम हिन्दुस्तानी है यदि हम ही इस भाषा का साथ नहीं देंगे तो कोई बाहर से नहीं आएगा ! भाषा अपने आप में इतनी महान होती है कि कोई उसका मजाक उड़ा नहीं सकता मै यहाँ सिर्फ इतना कह रहा हूँ कि अगर अंग्रेजी भाषा को इतनी प्रमुखता मिल रही है हमारी हिन्दी के साथ इतनी बेरुखी क्यों ? क्यों ? क्यों? मुझे आज तक अपनी आवाज उठाने का कोई मंच नहीं मिला और आज मै सहृदय धन्यवाद देना चाहता हूँ blogger का google का जिन्होंने मुझे यह मंच दिया भाईसाहब .........मेरी कुंठा यह नहीं है कि यहाँ हिन्दी को सम्मान नहीं मिलता बल्कि मुख्य कुंठा यह है कि अंग्रेजी जानने वाले भले ही योग्यता नहीं रखते किन्तु आज केवल उन्ही का बोलबाला है बजाय इसके कि हिन्दी जानने वाला कितना ही योग्य और गुणी क्यों न हो ? हिन्दुस्तानी होने के नाते हिन्दी का ज्ञान काफी नहीं है कि अंग्रेजी भी बोलना सीखना होगा क्योकि दो वक़्त कि रोटी तभी संभव है ! अब आप ही बताये कि यह मेरे दिमाग का खलल है या वास्तविकता कि २१ वि सदी में यह हिन्दुस्तान आत्महत्या करने जा रहा है ! जय हिंद !!!!!!! विनय पाण्डेय

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