यह जुमला तो आपने भी कभी ना कभी,कहीं ना कहीं तो जरुर सुना होगा ! कभी सडको पर, कभी गली में, कभी नुक्कड़ों पर और तो और कुछ ऐसे भी लोग होंगे जिन्होंने यह जुमला कभी ना कभी किसी ना किसी पर कसा भी होगा!
हालांकि बड़ा ही घातक है यह जुमला .... कभी कभी तो इसके परिणाम भी कभी "जूतारू" होते है ! हमको याद है वो मनहूस दिन जब हम कॉलेज में प्रथम वर्ष के विद्या+अर्थी होते थे ! हमको देखकर एक सुन्दर कन्या मुस्कुरा क्या दी हमने अपनी अगली चाल चल दी और बिना सोचे समझे उनको प्रेम का प्रस्ताव दे दिया ! जनाब बदले में उनके boyfriend ने हमारी जो गत कि वो तो देखने लायक थी ! बाद में पता चला कि वो हंसमुखी थी जिनकी सूरत ही मुस्कुराती हुई थी !
बहरहाल ......जैसे साल में एक दिन औरतों का, एक दिन बच्चो का, एक दिन रोग का, एक दिन भोग का,एक दिन पेड़ों का , एक दिन धरती का आता है ,उसी तरह एक दिन हंसने का भी आता है ! जो आज आ गया है ! हंस लो .....जी भर कर हंस लो....इस दिन लोग अपने साथियों के साथ एक पार्क में जाते है और ठहाके मार मार कर हंसते है ! मज़े कि बात यह है कि इस दिन बिन बुलाये कोई हज़ार पांच सौ लोग उस सरकारी पैसो से बने राजकीय उद्यान में अपने आप इक्कठे हो जाते है !
खोजबीन करने पर हमने पाया कि यहाँ अक्सर वे लोग आते है जो घर पर नहीं हंस पाते ! अब घरों में ना हंस पाने के कई कारण भी होते है ! अब देखिये गृहस्थी कि गाडी में दो पहियें होते है पति और पत्नी ! ये दोनों पहिये दुरुस्त हो तो गाडी भी मज़े से चलती है और जीवन भी पर कई बार ईश्वर भी तगड़ा मजाक कर देता है ! गृहस्थी कि गाडी में एक पहिया ट्रेक्टर और एक पहिया साइकिल का लगा देता है ! बताइए ऐसे में कोई गाडी कैसे सुचारू रूप से चल सकती है ? खुदा का शुक्र है मेरी अब तक शादी नहीं हुई ! और इसी विरोधाभास के चलते लोग हंस नहीं पाते !
अब चाहे आप कुछ भी कहे जनाब ...हम तो यह मानते है कि अगर इस दुनिया में विदूषक ना हो तो ससुर यह दुनिया आलू कि बासी तरकारी कि तरह होगी , जो देखने में तो बड़ी खूबसूरत लगती पर खाते ही तबियत नासाज़ हो जाती ! हमारी समझ में इस सकल सृष्टि में सबसे बड़ा मसखरा , विदूषक ईश्वर -अल्लाह है जो आदमी से ऐसी ऐसी ठिठोली करवाता है कि गर्व के नशे में चूर इंसान पल भर में हक्का बक्का रह जाता है ! जब कोई आदमी मसखरापन दिखलाए तो उससे नाराज़ हुआ जा सकता है , पर ईश्वर के आगे किसकी चलती है !
हँसना जरुरी है हालांकि कुछ लोग भ्रम फैला रहे है कि "डरना जरूरी है" अजी हरी का नाम लीजिये डरे हमारे दुश्मन के दुश्मन ! डरना नहीं हँसना जरूरी है !हंसी के कारण ही आदमी मालामाल होता है !
हमारी समझ से "हंसी तो फंसी" आज के मैनेजमेंट गुरुओ को अपना लेना चाहिए अगर आप अपने ग्राहक को हंसाने में सफल हो गये तो समझिये आप उसको फंसाने में भी सफल हो गए !लेकिन जो हंसी फंसाने के लिए हंसी जाए वो नकली होती है ! एक बात और कहे आपसे - दूसरो पर हँसना जितना आसान है खुद पर हँसना उतना ही मुश्किल ! इसलिए यदि आप सच मुच हंसमुख इंसान बनना चाहते है तो अच्छे से खुद पर हँसना शुरू कर दीजिये ! मज़ा आ जायेगा ......
इस तरह हंसने के लिए किसी दिन, किसी तारीख और किसी जगह को मत तलाशिये अपनी रसोई घर में जाकर बस बर्तनों को देखिये हंसी खुद ब खुद आएगी ! कि कैसे हमारे घर का बेशर्म कुकर हमारी काली कढाई को और बीवी को देखकर सिटी बजाता है !
एक चेतावनी : अगर आपकी बीवी व गर्लफ्रेंड बारूद कि ढेरी हो तो कृपया उसपर कभी ना हँसे ! ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि आप पड़ोसन के संग खूब हंस ले और जब पडोसी संग आपकी बीवी व गर्लफ्रेंड हँसे तो आप आग बबूला हो जाये ! आप चाहे तो अभी हंस ले हंसी किसी कि गुलाम है क्या ?
super nice
ReplyDeletevery funny
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