अब इसे आधुनिक जीवन कि विडम्बना कहें या मजें , आजकल हमारे देश में नए-नए रोग पैदा हो रहे है !
अब आप बताइए क्या तीस बरस पहले आपने एड्स का नाम सुना था ! हो सकता है आपने सुना हो, पर हम अनपढ़ गंवारों ने कभी इसका नाम भी नहीं सुना था !
हम "एनासिन -एस्प्रो" से ज्यादा दवाओं के नाम नहीं जानते थे ! हारी -बीमारी में हरड ,आंवला ,पीपल, जायफल , कायफल इत्यादि से दवा बनाकर दादी नानी खिला देती थी ! लेकिन अब तो बिमारियों कि पूछो मत ! मधुमेह और रक्तचाप का तो यह हाल है जैसे घरों में छिपकली ! हर तीसरा आदमी मधुमेह और रक्तचाप के चक्कर में खान पान छोड़ कर दरिद्रो जैसी जिन्दगी जी रहा है !
बिमारियों के चक्कर में इंसान अपनी प्राकृतिक कलाएं भूलकर सुबह शाम अनुलोम विलोम करता अपनी छाती को गाडिया लौहारों कि धौंकनी कि तरह फुलाता -पिचकाता रहता है !
शारीरिक बिमारियों कि बात को छोड़ो आजकल भाँती भाँती के मानसिक रोग भी चल पड़े है ! किसी को "क्रिकेटिया" हो जाता है ! ससुर दिन रात "क्रिकट" माफ़ कीजियेगा क्रिकेट के फंडे में ही पड़ा रहता है ! तेंदुलकर, द्रविड़ , गांगुली और कुंबले से ज्यादा कुछ नहीं सोचता ! सहवाग का छक्का उसका उसकी रोटी और युवराज का चौक्का उसकी दाल हो जाती है ! ऐसे लोगो का इलाज साक्षात भगवान् धन्वन्तरी भी नहीं कर सकते !
दूसरी तरह के बीमारों को "फिल्मोनिया" नाम कि बीमारी है ! उनकी माँ भले ही पेट दर्द से कराह रही हो , पर प्रीती जिंटा के दांत का दर्द जीवन मरण का सवाल बन जाता है ! यह लोग जॉन अब्राहम कि तरह बाइक चलाते है ! और उसी कि तरह पैर तुडवा कर फ्रेक्चर करा बैठते है ! बेटा चाहे किताब कॉपी के लिए तड़प रहा हो, पर अमिताभ के बेटे कि फिल्म को हिट कराने के लिए वे दस बार पिक्चर देख डालते है ! बहरहाल , आज कल एक नया रोग आया है - ग्लैमरिया ! जिस तरह आदमी के रतौंधी हो जाती है उस ही तरह इस रोग में भी लड़का -लड़की दोनों आँख होते हुए भी अंधे हो जाते है ! इन्हें अपनी आँखों से सब दिखलाई भी देता है और नहीं भी !
क्रिकेटिया और फिल्मोनिया से ग्रसित लोगो का इलाज तो संभव है -
उपाय :- क्रिकेटिया रोगी को wicket कि राख तीन बार शहद में चटाई जाये तो सात दिनों में यह रोग जड़ से समाप्त हो जाता है !
उपाय :- फिल्मोनिया के रोगी का सर मुंडा कर उसके कपाल पर दिन में तीन बार जुत्तमपैजार कि जाए तो उसका भी इलाज शर्तियाँ तीन सप्ताह में हो सकता है !
किन्तु ग्लेमरिया रोग का इलाज अभी तक संभव नहीं हो सका है हमारे वैध दिन रात इस पर शोध कर रहे है ! आमतौर पर यह रोग लड़के लड़कियों को होता है ! इसके वायरस कहीं से भी आ सकते है ! एड्स कि ही तरह इसका भी उपचार दुर्भाग्य से बचाओ ही है !
कुछ ज्ञानोपयोगी material :- कृपया व्यंग्य में व्यंग्य देखे ! कभी भी भूल कर माता पिता , गुरु, परम पूजनीय ईश्वर पर व्यंग्य नहीं करना चाहिए वरन पतलून पर चड्ढी पहनने वालो पर करना चाहिए !
सन्देश से संतुष्ट है ना आप ...................
Realy it is excellent
ReplyDeleteइतने अच्छे ब्लागरुर्वैदिक उपाय बताने के लिए आप सचमुच धन्यवाद के पात्र हैं:-)
ReplyDeleteज्ञानवर्धन हुआ!!