Monday, March 29, 2010

लात मुक्का पीठ मध्य

"लात मुक्का पीठ मध्य चटकनम मुख भंजतेय "

ना ना ..घबराओ मत... यह कोई सूत्र नहीं है , ना ही कोई पहेली यह तो एक रहस्य है ! जिसपर से आज हम पर्दा उठा रहे है ! जिसको हमने कभी किसी को नहीं बताया इसलिए नहीं कि हमको किसी किस्म का डर था वरन हमारी खिल्ली उडती जनाब !

पर अब जब हम खुद ही अपनी खिल्ली उड़ा रहे है तो कोई डर ही नहीं रहा ! अपने बचपने में हमको भी एक विषय से बहुत डर लगता था !

"गणित" mathematics आज भी लगता है , और हमारे डर का आलम तो यह था कि हमारे कभी 100 में से 02 अंक तो कभी
ज्यादा से ज्यादा 100 में से 05 अंक आते और फिर वही जो सबके साथ होता है हमारे साथ भी होता था !

"लात मुक्का पीठ मध्य चटकनम मुख भंजतेय" इसका अर्थ यह होता है कि हमको लात मुक्का पीठ के मध्य में पड़ते थे जहां रीढ़ होती है और इतने तमाचे पड़ते थे जिससे हमारे काले - काले जो गाल है सुर्ख बैंगनी हो जाते थे !

बहरहाल यह था हमारी जिन्दगी का कडवा सच !

किन्तु .....गणित के सिद्धांत भी अजीब होते है ! इसमें एक और एक तीन हो सकते है तो दो और दो भी तीन हो सकते है !
यह सब हल करने वालों पर निर्भर करता है ! गणित को हिसाब भी कहते है और आम आदमी हिसाब में बड़ा ही कमजोर होता है ! हिसाब करना तो व्यापारी ही जानते है !

लेकिन .....डेमोक्रेसी में नेतागण भी हिसाब में पक्के होते है ! बेचारी जनता हिसाब में पहले ही कमजोर है ! बहरहाल , इसमें कोई संदेह नहीं है कि गणित पढना अच्छे अच्छों के बस कि बात नहीं ! पर साहब रो धोकर आदमी जितनी भी गणित पढता है वह जिंदगी भर उसके काम आती है ! पुराने साहूकार इसलिए ब्याज पर ब्याज चढ़ा देते थे कि बेचारे गरीब "गणित" जानते ही नहीं थे !
गणित के चार मुख्य कायदे होते है - {जमा , तफरीक ,जर्ब और तकसीम }
लगता है आपको समझ नहीं आई ......पहले पहले तो मुझे भी नहीं आई थी ! फिर गूगल में सर्च मार कर सब सीख गया !

इसका मतलब है -
जमा का अर्थ है = जोड़ना ,plus
तफरीक का अर्थ है = घटाना, minus
जर्ब का अर्थ है = गुणा, multiply
तकसीम का अर्थ है = भाग , divide

आज के जमाने में ज्यादातर लोग जमा अर्थात "जोड़" में यकीन रखते है ! जिसको देख लो वो ही जोड़ में लगा हुआ है!
नेता सरकार बनाने में जुड़े है ! लेखक पाठक जोड़ रहा है ! कवि श्रोता जोड़ रहा है ! अभिनेता अभिनेत्री दर्शक जोड़ रहे है !

तफरीक यानी "घटाना" भी गणित का मुख्य नियम है ! तफरीक का दूसरा अर्थ भेद भी होता है ! इस नियम का सदुपयोग अंग्रजो ने बड़े मज़े से किया था ! हिन्दू और मुस्लिम में तफरीक कायम कि और मज़े से २०० साल बिताये ! जब अँगरेज़ चले गए जूता खा कर तो हमारे अपने ही कुछ युग पुरुषों ने यह नियम सिन्धी -पंजाबी , मद्रासी -बंगाली , और अब बिहारी - मराठी के बीच चला दिया ! लोग आपस में लड़ कट कर मरते है और जनसँख्या कम होती है ! और वोट बैंक सुरक्षित होता है !

जर्ब यानी "गुणा" के अपने ही मज़े है ! लोग ज़मीन जायदाद का धंधा करते है और अपनी संपत्ति में कई गुणा इजाफा करते है ! यूँ तो धरती को माँ कहते है - पर आज कल जो जिस तेज़ी से इसकी खरीद फरोख्त करता है वो उतनी ही जल्दी करोडपति बनता है !

चौथा और आखरी नियम तकसीम यानी "भाग" बड़ा ही too much है ! भाग का अर्थ है बांटना ! जैसे चार को दो भागों में बांटने से दो रह जाता है ! इसका सफल उदाहरण हमारे प्यारे प्यारे नेतागण देते रहते है ! और तो और एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इसका इस्तेमाल आधुनिक बहुएं भी करती है ! ऐसा इंडियन सासों का मानना है ! सास का कहना है कि बहू आते ही उनके और बेटे के प्यार को बाँट देती है ! यूँ तो प्रचार में दिखाते है बाँट कर खाना चाहिए !
तो भई ...........यह था गणित का झोलझाल.... हम तो पहले भी कह चुके है कि हम गणित में फिसड्डी है वरना और भी गणित का ऑपरेशन करते और आपको कायदे , नियम सूत्र बता देते !

झकाश ज्ञान घुट्टी :- आप सभी से अनुरोध है कि लड़का-लड़की में किसी तरह का भेद ना करे ! दोनों को पढने का उतना ही हक है ! जितना दोनों को जीने का हक है ! और जो ऐसा नहीं करेगा उसके लिए तो है ही "लात मुक्का पीठ मध्य चटकनम मुख भंजतेय " और हाँ 'गणित" जरूर पढाना वरना समाज के भेडियें उनको नोच कर खा जायेंगे !

2 comments:

  1. बढ़िया...आपकी रचना ने मनोरंजन जोड़ा बोरियत घटाई

    ReplyDelete