Friday, March 19, 2010

सुख कहाँ है ?

एक बड़ा ही सीधा सा, सच्चा सा किन्तु एक गंभीर प्रश्न कि "सुख कहाँ है" ? इस सवाल का जवाब जानने के लिए सारी दुनिया में जहाँ बवाल मचा हुआ है ! वहीँ तमाम लोगो के अपने अपने जवाब, अपने अपने नज़रिए कुछ philosophical , कुछ रटे-रटाये , कुछ सुने-सुनाये पेश किये !

तब मैंने सोचा...... क्यों ना ? कुछ नया तलाशा जाए.........तो चल पड़ा सर्वेक्षण करने और जो जवाब मिले वो वाकई चौंका देने वाले थे ! तो अब आप लोग भी चौंकते रहिये और पढते रहिये !

सर्वेक्षण सुख का ....सर्वेक्षण सुख का ......सर्वेक्षण सुख का .....सर्वेक्षण सुख का

पहला दिन :- "आभा मित्तल जी" से मैंने सवाल पूछा "सुख कहाँ है" ?

जवाब मिला :- सुख हासिल करने के लिए भांति भांति के धर्म बने ! सुख का पल कोई मंदिर में तलाशता है ! कोई मस्जिद में और कोई गुरुद्वारे में तलाशता है ! कोई गिरिजाघर में जाकर सुख कि discovery करता है ! लेकिन यह सुख कमबख्त मनुष्य कि तरह एक जगह पर नहीं टिकता पल भर में यहाँ तो पल भर में वहां होता है ! परन्तु ऐसा भी नहीं है कि सुख मनुष्य के जीवन में आता ही नहीं है ! पर वह इतना अल्प होता है पूछो ही मत !

दूसरा दिन :- सोनिया जी से मैंने सवाल पूछा "सुख कहाँ है "?

जवाब मिला :- ट्रेन में बिना ticket बैठ जाइए ! पूरे रास्ते भर हुकड़-टुकड़ लगी रहेगी ! डिब्बे में चढ़ने वाला हर आदमी टीटीई नज़र आएगा ! निर्धारित स्टेशन पर उतरिये और ticket collector कि आँख बचाकर गेट से बाहर निकाल जाइए ! वहीँ सुख होगा !

तीसरा दिन :- वनिता से मैंने सवाल पूछा "सुख कहाँ है "?

जवाब मिला :- आप थके हारे घर पहुंचते है ! हाथ -पांव दर्द कर रहे है ! दिल में चाय पीने कि तम्मना है ! घरवाली घर में नहीं है झुंझलाहट हो रही हो तभी घरवाली आ कर कहे कि पडोसी मीठा लाल कि लड़की "मीठी" ने भाग कर ब्याह कर लिया ! यह खबर आपके लिए सुख कि खबर लेकर आएगी !

चौथा दिन:- संजय अवस्थी जी से मैंने सवाल पूछा "सुख कहाँ है"?

जवाब मिला :- आप ऑफिस पहुचे है ! वहाँ मातम छाया हुआ है ! चपरासी चुप , बड़े बाबू चुप अन्दर बॉस चीख रहा है!आप समझ नहीं पाते कि क्या हुआ है ? तभी आपका सहकर्मी आकर कहे कि बॉस का बेटा फ़ैल हो गया ! यहाँ आपके लिए सुख होगा !

पांचवा दिन :- महेंदर कुर्नेश जी से मैंने सवाल पूछा "सुख कहाँ है "?

जवाब मिला :- आपका मित्र बरसो बाद आपको मिले ! कुछ पुरानी बाते हो ! मित्र हंस हंस कर आपको उस लड़की कि याद दिलाये जिसे आप दिलो जान से चाहते थे , पर उस लड़की कि शादी किसी कोयले के ठेकेदार से हो गयी थी ! तभी आपका मित्र आपको एक खबर दे कि उस ठेकेदार ने उस लड़की को तलाक दे कर दूसरी शादी कर ली है ! यहाँ सुख जरुर होगा !

छठा दिन :- योगेश्वर दुबे जी से मैंने सवाल पूछा "सुख कहाँ है "?

जवाब मिला :- इस युग में सुख कि अनुभूति ईमानदारी और भक्ति से नहीं बल्कि परपीड़ा से होती है ! हम तो निमित्त मात्र है ! भगवान् तक को दूसरे का सुख नहीं दिखता ! जब देवर्षि नारद ने एक सुन्दर राजकुमारी के स्वयंबर में शामिल होने के लिए ईश्वर से उनका रूप उधार माँगा तो भगवान् ने उन्हें बन्दर का मुहं दे दिया ! और बेचारे रह गए वो आज तक कुंवारे के कुंवारे इसलिए मेरे प्यारे दोस्तों सुख वहां मत तलाशों जहाँ आज के बाबा , पीर-फकीर, उपदेशक कहते है ! वहां तलाशों जहाँ मै कह रहा हूँ ! और बावजूद इसके सुख ना मिले तो आपकी जुत्ती और आपके ही दुश्मन का सिर ! किसी रिश्तेदार के लड़के द्वारा बाप को पीटने कि खबर जितना सुख देती है , उतना तो लाख रूपए चौराहे पर मिल जाये तो नहीं आता !

सभी का नजरिया और जवाब वाकई चौंका देने वाले थे ........बहरहाल, यह मुहीम अभी समाप्त नहीं हुई है ! जारी रहेगी....... शायद कहीं तो सुख मिलेगा !

ऊपर लिखित सभी गुणीजनों के नाम वास्तविक है किन्तु उनके कथन अथवा जवाब पूर्णरूप से काल्पनिक है ! यह महज व्यंग्य उत्पन्न करने के लिए नाम का सहारा लिया गया है ! किसी को आहत पहुंचे तो कृपया क्षमा कर दे ! यदि नाम के इस्तेमाल पर आपत्ति हो तो कमेन्ट करे सुधार कर दिया जायेगा !

1 comment:

  1. तलाश जारी रखिये..हम भी खोज रहे हैं.

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